Sunday 29 November 2015

ट्रक यात्रा - 10




"सावळिंग उठो भन्ना,  चाह बाह पीहां। (सावळिंग कहकर पुकारता था गगजी मुझे, वो जब सावळिंग कहकर पुकारता तो मुझे लगता था जैसे कोई चाइनीज हूँ मैं। चाईना में ऐसे ही नाम होते हैं सबके,  साउली, जिनपिंग टिंग टिंग...... असल में गगजी मेरा नाम ठीक से याद नहीं रख पा रहा था और बोलने में भूल जाता तो अपनी सहुलियत के लिए मुझे सावळिंग बना दिया.!! सावजराज को पहले उसने सवाईजी किया फिर शिवराज किया फिर भी मैंने कहा ठिक नहीं है तो सावळिंग बना दिया। राजस्थान के सरहदी विस्तार में और थर पारकर सिंध में किसी को भी ऐसे ही बुलाया जाता है। किसीका नाम करण हैं तो उसने पीछे ईंग मिला कर करणिंग बना दिया जायेगा, रतन का रतनिंग, भूपत का भूपतिंग तो सावज का सावजिंग की जगह गगजी ने सावळिंग कर दिया। पहले सिंग लगाया जाता था पर अपभ्रंश होकर ईंग हो गया। भोमसिंग, तनसिंग, मानसिंग आदी...  )  सावळिंग भन्ना उठो हमे,  चाह पीहां जाहे लाॅह्ज माथे, ओ सावळिंग......." मुझे भर नींद से जगाते हुए गगजी कह रहा था। मुझे गुस्सा तो इतना आया कि स्साले गगजी का सर फोड दूँ पास पडे स्क्रू ड्राइवर से। गहरी नींद में सोये हुए को भला कोई सिर्फ चाय पीने के लिए जगाता है क्या.?  मन ही मन गगजी को बहुत सारी गालियाँ देते हुए ट्रक से मैं नीचे उतरा। किसी हाईवे होटेल पर गगजी ने ट्रक खडी की थी। होटेल की ओर चलते चलते मैंने पूछा हम कहाँ पहुँचे हैं तो गगजी ने बताया कि विरमगाम बायपास के पास। हम धांग्ध्रा और आदि दुसरे छोटे मोटे कस्बे, गांव पीछे छोड आये थे। तब मैं सो रहा था और गगजी ट्रक चलाये जा रहा था।

होटेल में हमनें हाथ मुँह धोये और टेबल पर बैठे की इतने में चाय भी आ गई। चाय घटकते मेरी नजर घडी पर गई तो रात के 1:47 बज रहे थे। दुसरी दोनों ट्रक को बहुत पीछे छोडते हुए गगजी तेजी से आगे आया था। गगजी ने तो दो कप चाय पी ताकि उसे आगे ट्रक चलाते समय नींद न आये। और फिर पीछे वाली ट्रकों को फोन करके गगजी ने उन्हें बताया कि हम अब आगे निकल जाते हैं, तुम अपने तरीके से आना , ट्रके जब खाली होगी तब सब मिलते हैं कहीं पर। हमने पेशाब पानी करके ट्रक को आगे जाने दिया। मैं लेफ्ट साइड पर बैठा रहा, नींद तो अब उड गई थी।

कुछेक आगे जाकर साचना आया यहां तिराहे पर चार पांच पुलिस की गाडियाँ और कुछेक पुलिसवाले खडे थे। रात का वक्त था तो माहौल बडा सुनसान था। सडक पर और घरों, दूकानों के बाहर बस बत्तियां रोशनी डाल रही थी। और कुछ कुछ कुत्ते सडक किनारे सिकुड कर सोये हुए थे। हम ये सब देखते बढते जा रहे थे। कुछ आगे जाकर साणंद कस्बा आया। यहाँ पर भी चारों तरफ डरावनी शांति पसरी हुई थी। एकाद जगह पर हमें जली हुई पुलिस की गाडी दिखी पर पुलिसवाले तो कहीं भी नजर नहीं आये। हां,  एकाद पागल सडक और शांति को चीरता अपनी मस्ती में जा रहा था। हम दोनों कुछ भी आपस में बातचीत करे बिना आसपास देखते हुए आगे बढ रहे थे। इस दौरान ट्रक मालिक का फोन आया गगजी को, उसने हिदायत दी कि यदि कुछ अशांति जैसा माहौल हो तो अहमदाबाद से पहले कहीं होटेल पर रुक जाना और ध्यान रखना। और पहूंच जाओ तब फोन करना। गगजी ने भरोसा दिया कि सब ठीक है और हम पूरा ख्याल रखेंगे(पहले अपनी जान का और फिर आपकी ट्रक का)...

जाहिर सी बात थी आधी रात को ट्रक मालिक को अपनी बीस लाख की ट्रक की ही चिंता थी, मैं और गगजी कहां उसके चाचा के लडके थे जो रात को दो, ढाई बजे फोन करके हालचाल पूछता.!!  कुछ आगे जाकर सरखेज से कुछ पहले हम राईट साइड मुड गये। शायद इस रोड का नाम सरदार पटेल रींग रोड था क्योंकि एकाद जगह दूकान पर बोर्ड में पढ कर मैंने अंदाज लगाया। रास्ते में दो तीन बडे चौराहे आये और एक चौराहे पर कुछ तोडफोड हुई थी शायद,  बहुत सारे पत्थर और टूटे हुए शीशे बिखरे पडे थे सडक पर। कहीं भी कोई दिखाई नहीं दे रहा था बस बत्तियां जल रही थी। कुछ आगे एकाद दो जगह ओटो रिक्शा और बाईक्स वाले आते जाते भी दिखे। बीच में आती साबरमती को पार करने के बाद कमोद विस्तार आया यहां पांच सात लोग दिखे आते जाते।

कुछ देर आगे चलकर ओवरब्रिज आया, यहां बहुत सारी ट्रके आ जा रही थी और लोग भी अच्छी तादाद में घूमते दिखाई दे रहे थे। पुलिस भी वहां थी,  एकाद पुलिसवालें ने हमें रोककर पूछा क्या लोडिंग किया है  और जाना कहां है.? गगजी ने बताया कि कोयला है और कठवाडा के पास फैक्टरी में खाली करना है। वहां खडे पुलिसवाले आने जाने वाली ट्रकों को खडा करके  पूछ रहे थे। हम ओवरब्रिज से सीधा आगे बढ गये। आगे वटवा विस्तार शुरू हो गया जो मुझे जहां तहाँ लगे होर्डिंग्स से पता चला। वैसे एक तो रात और उपर से मैं यहां के विस्तार का अनुभवी न होने से कुछ समझ नहीं आ रहा था कि कहां से हम गुजर रहे हैं.!!  बस आसपास सब टुकुर टुकुर देखते देखते जाना था और अंदाज लगाना था।अब कहीं कहीं विंजोल के बोर्ड आये तो अंदाजा लगाया कि यह विस्तार विंजोल होगा। थोडा आगे एक चौराहा आया हाथीजन सर्कल करके यहां पर भी कुछ तोडफोड के निशान नजर आ रहे थे।

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......... जारी

* नोट- इस दौरान मैं सोया रहा और रात का अंधेरा भी था तो कोई फोटो खींचे नहीं गये। मेरा मोबाइल कैमरा फ्लैश लाइट वाला नहीं था तो रात के फोटो खींच भी नहीं सकता था।

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