Monday 30 November 2015

दो शीर्षक विहीन कविताएँ

1.

यदि तुम्हारे नजदीक से
गुजरी कोई सुंदर लडकी
और तुम्हारा जरा सा भी ध्यान
उस पर नहीं गया
तो यकीनन तुम बुड्ढे हो गए हों
तुम्हारी सुंदरता सूंघ लेने की इंद्रिय सून हो गई है

किसी चिडिया ने भोर में
गाया एक गीत
और सुन कर उसे
नींद से जागे नहीं तुम
तो यकीनन तुम्हारे अंदर का कवि मर गया है

भूखे, प्यासे, नंगे बच्चों को देख मुंह फेर लिया
फिर जाकर डिनर में खाया
ताजा बकरे का गोश्त
और तुम्हें निवाले भरते वक्त
शर्म तक नहीं आई खुद पर
भरपेट खा कर सो गए चैन की नींद
तो यकीनन तुम इंसान नहीं हो..!!

तो तुम यकीनन एक बेजान जिंदा लाश हो..!!
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2.


लडकी के पीछे दौड रहा था लडका
और लडकी ख्वाबों के पीछे
ख्वाब हवा हो गए
लडकी विधवा हो गई
और लडका पाल रहा है नाजायज बच्चा अपने पेट में

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