नदी का होना सिर्फ नदी नहीं होता
नदी का होना सिर्फ नदी नहीं होता
नदी का होना होता है नदी का तट
नदी के तट पर उगे जंगल
जंगल में कलरव करते पक्षी
और कलरवों के शोर के बीच
किसी घोसले में अंडों से बाहर आते बच्चे
नदी का जल सिर्फ जल नहीं होता
नदी का जल होता है किनारों पर बसे गांव, शहर
और नदी पर बनाई गई छोटी बडी झीलें
की खेतों में दूर दूर तक जाती कैनालें भी
और वो दोपहर को तृषा छिपाने आते
गाय, भैंस, बकरियों के झुंड
नदी का बहना सिर्फ बहना नहीं होता
खलखल पहाड़ों से उतरना होता है नदी का बहना
मेंढको का जोर जोर से टर्रटर्रना
और मछलियां पकडते बच्चे का गुनगुनाना
या फिर नदी का बहना होता जैसे
किसी खेत में किसान की बेटी की किलकारियाँ करना
नदी का होना सिर्फ नदी नहीं होता
नदी का होना होता है जीवन
नदी का होना होता है संगम
नदी का होना होता है संगीत.....
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खाली होना भरा होना
खाली होना इस तरह नहीं
की जैसे खाली हो मिट्टी का घडा
और प्यासा लौट जाए पंखेरु
खाली होना कुछ इस तरह
जैसे आसमान में सहजता से उडता है
भारीपन उतारकर कोई पंछी
भरा होना ऐसे नहीं की
भारी हो जाए किसी मजदूरन के सर पर पडे गमले का भार
और बोझ के भार से बेचारी
चल भी न पाए दस पाव दूर
भारी होना खलिहान में पडे धान की भांति
की चमक उठे किसान की आंखें
या फिर उस काले बादल की तरह
जो भारीपन से हलका हो जाए
किसी प्यासे रेगिस्तान में
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नदी का होना सिर्फ नदी नहीं होता
नदी का होना होता है नदी का तट
नदी के तट पर उगे जंगल
जंगल में कलरव करते पक्षी
और कलरवों के शोर के बीच
किसी घोसले में अंडों से बाहर आते बच्चे
नदी का जल सिर्फ जल नहीं होता
नदी का जल होता है किनारों पर बसे गांव, शहर
और नदी पर बनाई गई छोटी बडी झीलें
की खेतों में दूर दूर तक जाती कैनालें भी
और वो दोपहर को तृषा छिपाने आते
गाय, भैंस, बकरियों के झुंड
नदी का बहना सिर्फ बहना नहीं होता
खलखल पहाड़ों से उतरना होता है नदी का बहना
मेंढको का जोर जोर से टर्रटर्रना
और मछलियां पकडते बच्चे का गुनगुनाना
या फिर नदी का बहना होता जैसे
किसी खेत में किसान की बेटी की किलकारियाँ करना
नदी का होना सिर्फ नदी नहीं होता
नदी का होना होता है जीवन
नदी का होना होता है संगम
नदी का होना होता है संगीत.....
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खाली होना भरा होना
खाली होना इस तरह नहीं
की जैसे खाली हो मिट्टी का घडा
और प्यासा लौट जाए पंखेरु
खाली होना कुछ इस तरह
जैसे आसमान में सहजता से उडता है
भारीपन उतारकर कोई पंछी
भरा होना ऐसे नहीं की
भारी हो जाए किसी मजदूरन के सर पर पडे गमले का भार
और बोझ के भार से बेचारी
चल भी न पाए दस पाव दूर
भारी होना खलिहान में पडे धान की भांति
की चमक उठे किसान की आंखें
या फिर उस काले बादल की तरह
जो भारीपन से हलका हो जाए
किसी प्यासे रेगिस्तान में
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