हम आरटीओ चेकपोस्ट से निकल कर आगे बढ चले। मुझे अब नींद आने लगी थी पर गगजी ने कहां अब तो भचाउ पहूंचने आये हैं तो थोडी देर और जाग लो फिर वहां पहुंच कर सो ही जाना है। थोडी देर में हम भचाउ आ गए। गांव पूरा सो रहा था, बस कुछ कुत्ते चौकीदारी का फर्ज अदा कर रहे थे। हम गांव की बीचो बीच मुख्य सडक से धीरे धीरे जा रहे थे। आसपास देख रहे थे कि कोई व्यक्ति मिलता है तो उससे उस जगह का पूछते जहाँ हमें ट्रक का माल उतारना था। रात थी तो कोई नहीं दिखा आसपास, मैंने बिल्टी में अड्रेस देखा पर उस जगह का कहीं बोर्ड नहीं दिखा और न समझ आ रहा था कि कहां पर वो जगह। इतने में एक बाईक वाला निकला उससे पूछा तो उसने बताया कि सामने जो सकरी गली जैसा रास्ता है उसमें घूस जाओ, उससे आगे बडा चोक है वहीं पर दूकान है। ट्रक सकरी गली में घुसकर आगे आते ही जय माताजी नामक चोक आ गया। अड्रेस वाली दुकान के सामने ट्रक खडी कर दी। भोर के साडे चार बज रहे थे, दुकान तो सुबह ही खुलनी थी और तब ही ट्रक खाली होना था तो फिर हम दोनों सो गए।
मैं ट्रक की छत पर सोया था पर मच्छर बहुत सारे थे। मच्छरों की वजह से बार बार नींद खुल जाती। सुबह सात बजे ही लोगो चहल पहल शुरू हो गई। हम दोनों भी उठ गये और वहीं पास में ही चाय का ठेला था वहां चाय पीने गए। हाथ मुँह धोकर चाय पी। चोक में लोग आ जा रहे थे। मजदूर अपने काम के लिए निकल रहे थे, ठेले पर सब्जी लेकर सब्जी वाले गांव में चक्कर लगाने निकल पडे थे। आज इतवार था तो बजार खुलनी नहीं थी पर मजदूरों के लिए क्या इतवार क्या त्योहार. !? पेट इतवार को छूटी नहीं पालता न.!!
हमने दुकान वाले को फोन करके बताया कि माल लेकर आये हैं तो दुकान वाला जल्दी जल्दी मजदूर लेकर आ गया। आज इतवार होने के कारण बाजार पूरा बंद था इसलिए ट्रक को कोई दिक्कत नहीं हुई वरना बहुत भीड की बजह से बार बार ट्रक लगाना हटाना पडता। गगजी ने गोदाम पर ट्रक लगाया और फिर मजदूर खाली करने मे लग गए। इस दौरान हम चाय के ठेले पर बैठकर चाय पर चाय घटकते जा रहे थे। एकाद घंटे में भचाउ का माल उतर गया। अब ट्रक में आधा माल बचा था भुज का। हमने फिर से तालपत्री और रस्सियां खींच कर बांधी। नौ बज रहे थे सुबह के, हम भचाउ से बाहर निकले और हाईवे पर आ गए। मैंने गगजी से कहा कि भई कहीं भी होटल पर ट्रक खडी करना मुझे नहाना है, चार दिन से नहाये नहीं है, अब तो अपनी सकल भी पहचानी नहीं जाती। आज चौथा दिन था मुझे नहाये हुए को, जब हम निकले थे तब नहाया था। शरीर से बदबू आ रही थी। पूरे शरीर पर मेल जम गया था और कपडों की हालत तो भिखारियों जैसी हो गई थी। आगे हाईवे पर पहली ही होटेल पर ट्रक खडी की, वहां होटेल के पीछे खुला स्नानघर था, चार पांच नल लगे हुए थे। कई दिनों बाद नहाने को मिला था, मैं तो घंटा भर नहाता रहा पर गगजी तो नहाकर जल्दी चला गया। हमने मेले कपडे भी वहां धोये। नहा धोकर होटेल पर चाय बिस्कुट खाये। साडे दस बजे हम ट्रक लेकर आगे के लिए रवाना हुए। नहाने के कारण शरीर ताजातरीन हो गया था और सारी सुस्ती उड गई थी।
टोल टैक्स बचाने के लिए गगजी अंजार के रास्ते चल दिया, ये रास्ता लंबा था पर गगजी को डीजल की बर्बादी से ज्यादा टोल टैक्स बचाकर जेब भरने में रुचि थी। ये रास्ता काफी खराब था, बीच के गांवों से होकर जा रहे थे तो कभी कभार ही कोई वाहन आता जाता दिखता। बीच में एक बहुत सुंदर और स्वच्छ गांव आया भीमासर.. सुना हैं कि पूरे भारत में इस गांव को आदर्श गांव का अवॉर्ड मिला हुआ है, पता नहीं कितना सच है पर वाकई गांव काफी स्वच्छ था और हरियाले वृक्षों से हराभरा था।
कुछ आगे जाकर वरसामेडी गांव के पास सडक पर वेलस्पन कंपनी आई। बहुत बडे से विस्तार में फैली हुई है, सुना कंपनी में दो हजार से अधिक महिलाएं काम करती है और महिला कामदार पूरी कंपनी चलाती है। ये एक स्त्री सशक्तिकरण का बडा उदाहरण हैं.!!
कंपनी खासकर टॉवेल बनाती है और कपडे बनाती है। इस कंपनी के टॉवेल पूरी दुनिया में विख्यात है, विम्बलडन, युऐस ओपन जैसी टेनिस की खेल स्पर्धाओं में यहां के टॉवेल सेरेना विलियम्स से मारिया शारापाॅवा और जोकोविच से राफेल नडाल, फेडरर तक उपयोग करते हैं। कंपनी के अंदर स्मारक जैसा बना हुआ है कुछ, दूर से सडक से दिखाई दे रहा है। चलती ट्रक से देखा हमने जबकि देखने का मन जरुर किया पर कौन गगजी से सर फोडे ट्रक रुकवाने के लिए. !! कंपनी के मुख्य गेट पर एक बडे से पोल पर बडा सा तिरंगा आसमान में लहरा रहा था। इतना बडा लहराता तिरंगा प्रत्यक्ष मैंने पहली बार ही देखा।
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........ जारी
* फोटो नोट -
फोटो -1,2- भचाउ से अंजार जाते बीच में आता रेलवे ट्रैक
फोटो -3, 4- ध हाईवे
फोटो-5- भचाउ की बजार में चाय का ठेला
मैं ट्रक की छत पर सोया था पर मच्छर बहुत सारे थे। मच्छरों की वजह से बार बार नींद खुल जाती। सुबह सात बजे ही लोगो चहल पहल शुरू हो गई। हम दोनों भी उठ गये और वहीं पास में ही चाय का ठेला था वहां चाय पीने गए। हाथ मुँह धोकर चाय पी। चोक में लोग आ जा रहे थे। मजदूर अपने काम के लिए निकल रहे थे, ठेले पर सब्जी लेकर सब्जी वाले गांव में चक्कर लगाने निकल पडे थे। आज इतवार था तो बजार खुलनी नहीं थी पर मजदूरों के लिए क्या इतवार क्या त्योहार. !? पेट इतवार को छूटी नहीं पालता न.!!
हमने दुकान वाले को फोन करके बताया कि माल लेकर आये हैं तो दुकान वाला जल्दी जल्दी मजदूर लेकर आ गया। आज इतवार होने के कारण बाजार पूरा बंद था इसलिए ट्रक को कोई दिक्कत नहीं हुई वरना बहुत भीड की बजह से बार बार ट्रक लगाना हटाना पडता। गगजी ने गोदाम पर ट्रक लगाया और फिर मजदूर खाली करने मे लग गए। इस दौरान हम चाय के ठेले पर बैठकर चाय पर चाय घटकते जा रहे थे। एकाद घंटे में भचाउ का माल उतर गया। अब ट्रक में आधा माल बचा था भुज का। हमने फिर से तालपत्री और रस्सियां खींच कर बांधी। नौ बज रहे थे सुबह के, हम भचाउ से बाहर निकले और हाईवे पर आ गए। मैंने गगजी से कहा कि भई कहीं भी होटल पर ट्रक खडी करना मुझे नहाना है, चार दिन से नहाये नहीं है, अब तो अपनी सकल भी पहचानी नहीं जाती। आज चौथा दिन था मुझे नहाये हुए को, जब हम निकले थे तब नहाया था। शरीर से बदबू आ रही थी। पूरे शरीर पर मेल जम गया था और कपडों की हालत तो भिखारियों जैसी हो गई थी। आगे हाईवे पर पहली ही होटेल पर ट्रक खडी की, वहां होटेल के पीछे खुला स्नानघर था, चार पांच नल लगे हुए थे। कई दिनों बाद नहाने को मिला था, मैं तो घंटा भर नहाता रहा पर गगजी तो नहाकर जल्दी चला गया। हमने मेले कपडे भी वहां धोये। नहा धोकर होटेल पर चाय बिस्कुट खाये। साडे दस बजे हम ट्रक लेकर आगे के लिए रवाना हुए। नहाने के कारण शरीर ताजातरीन हो गया था और सारी सुस्ती उड गई थी।
टोल टैक्स बचाने के लिए गगजी अंजार के रास्ते चल दिया, ये रास्ता लंबा था पर गगजी को डीजल की बर्बादी से ज्यादा टोल टैक्स बचाकर जेब भरने में रुचि थी। ये रास्ता काफी खराब था, बीच के गांवों से होकर जा रहे थे तो कभी कभार ही कोई वाहन आता जाता दिखता। बीच में एक बहुत सुंदर और स्वच्छ गांव आया भीमासर.. सुना हैं कि पूरे भारत में इस गांव को आदर्श गांव का अवॉर्ड मिला हुआ है, पता नहीं कितना सच है पर वाकई गांव काफी स्वच्छ था और हरियाले वृक्षों से हराभरा था।
कुछ आगे जाकर वरसामेडी गांव के पास सडक पर वेलस्पन कंपनी आई। बहुत बडे से विस्तार में फैली हुई है, सुना कंपनी में दो हजार से अधिक महिलाएं काम करती है और महिला कामदार पूरी कंपनी चलाती है। ये एक स्त्री सशक्तिकरण का बडा उदाहरण हैं.!!
कंपनी खासकर टॉवेल बनाती है और कपडे बनाती है। इस कंपनी के टॉवेल पूरी दुनिया में विख्यात है, विम्बलडन, युऐस ओपन जैसी टेनिस की खेल स्पर्धाओं में यहां के टॉवेल सेरेना विलियम्स से मारिया शारापाॅवा और जोकोविच से राफेल नडाल, फेडरर तक उपयोग करते हैं। कंपनी के अंदर स्मारक जैसा बना हुआ है कुछ, दूर से सडक से दिखाई दे रहा है। चलती ट्रक से देखा हमने जबकि देखने का मन जरुर किया पर कौन गगजी से सर फोडे ट्रक रुकवाने के लिए. !! कंपनी के मुख्य गेट पर एक बडे से पोल पर बडा सा तिरंगा आसमान में लहरा रहा था। इतना बडा लहराता तिरंगा प्रत्यक्ष मैंने पहली बार ही देखा।
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........ जारी
* फोटो नोट -
फोटो -1,2- भचाउ से अंजार जाते बीच में आता रेलवे ट्रैक
फोटो -3, 4- ध हाईवे
फोटो-5- भचाउ की बजार में चाय का ठेला
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