Sunday 29 November 2015

ट्रक यात्रा - 5




वाॅश बेसिन पर हाथ मुँह धोकर हम खाने की टेबल पर बैठ गए। मैंने ऑर्डर में भिंडी की सब्जी, रोटी और दही मंगाया जबकी गगजी ने बाजरे की रोटी और दही का रायता मंगाया। खाना काफी अच्छा था और भूख भी ज्यादा लगी थी तो मैं खाना आते ही टूट पडा और दबा दबाकर खाया। मुझे कहीं भी खाने में यदि दही और रोटी मिल जाए तो फिर जैसे पूरी दुनिया का जायका ही मिल गया हो.!! दाल भात भी थे पर मैंने नहीं खाये और दही पर ही पूरा ध्यान लगाया। बहुत ज्यादा खा लेने की वजह से मुझसे तो उठा भी नहीं जा रहा था। इतना आलस्य हो रहा था कि यही टेबल पर ही लुढक जाउं और एक लंबी नींद खींच लू। खाने का बिल हम दोनों का 245 रुपये आया, जो गगजी ने चुकाया। मुझे तो बहुत महंगा लगा जबकि खाते वक्त मैंने इस ओर ध्यान भी नहीं दिया था।

खाने के बाद कुछ देर बैठे बैठे गगजी होटेल मालिक से बतियाता रहा,  उन दोनों की पहचान बहुत पूरानी थी.. वो दस पंद्रह मिनट तक बातें करते रहे तब तक मैं बाहर छांव में बिछाई खटिया पर लेटा रहा।

एकाद घंटा हो गया था हमें यहां खाने के लिए ढाबे पर रुके हुए,  इतने में गगजी आया और हम आगे की तरफ निकल लिए। मुझे नींद आ रही थी पर गगजी ने मना करते कहां अभी मत सोओ, भुज पार होते तुम चाहो तो सो जाना।  मैं बार बार नींद के झोले खा रहा था ट्रक में बैठे बैठे,  बहुत मुश्किल से खुद को जगाये रहा था। बीस मिनट में हम भुज आ गए,  मैंने नींद से बचने के लिए बोतल के पानी से अपना मुंह धो लिया तो कुछ ताजगी आई।
भुज में तो जगह जगह पर पुलिस तैनात थी। मुझे लगा कि क्या हो गया होगा जो इतनी पुलिस चारों तरफ हैं..!! वैसे पुरे गुजरात का माहौल तो खराब है ही तो क्या भुज में भी कोई अप्रिय स्थिति पैदा हुई होगी.!?  रिलायंस पेट्रोल पंप के पास चौराहे पर ट्रक धीमा करा कर वहां खडे एक पुलिस वाले से मैंने पूछा कि इतनी पुलिस क्यों है.? उसने कहा कि आज मंत्री जी आने वाले हैं तो इतनी सारी पुलिस हैं। और फिर मुझे सब मालूम चल गया...

केंद्रीय रक्षा मंत्री मनोहर परिकर जी और मानव संसाधन मंत्री स्मृति इरानी जी आज भुज, माधापर में एक स्मारक का लोकार्पण करने आ रहे हैं। जबकि मुझे कुछ दिनों पहले ही ज्ञात था कि दो मंत्री यहां किसी कार्यक्रम में आने वाले हैं पर मैं यह बात भूल गया था। हमारा देश बडा विचित्र है..!!  दो व्यक्ति विशेष के लिए पांच सौ लोग तैनात थे, उनकी रक्षा के लिए और उन्हें कोई मुश्किल न हो इसलिए।  जबकि हमने उन्हें इस लिए चुना है कि वो हमारी रक्षा करें और हमारी मुश्किलें हल करें.!!

1971 के भारत पाक युद्ध के दौरान पाकिस्तान के  युद्ध विमानों ने भुज एयरपोर्ट का रनवे और सरहद पर सैन्य मार्ग का पूल तोड दिया था तो उस समय माधापर गांव की तीन सौ महिलाओं ने आपातकालीन स्थिति में एक रात में रनवे और पूल फिर से खडा कर दी था। तो उन महिलाओं के प्रति सम्मान के तौर पर एक स्मारक बनाया गया था और उसका आज लोकार्पण इन मंत्रियों के हाथों होना था तो जगह जगह पुलिस उन के लिए तैनात थी।

हम माधापर हाईवे जहां भुज का ट्रान्सपोर्ट उद्योग के ऑफिस है वहाँ आकर रुके। गगजी को ट्रक मालिक की ऑफिस जाकर हमारे खर्च के पैसे लेने थे तो वो मुझे ट्रक का ख्याल रखने को कहकर खुद ट्रक मालिक के ऑफिस चला गया.. मैंने बोतले पानी से भर ली, ट्रक के पहियों को चेक किया और फिर बैठा रहा। जबकि अब मुझे नींद भी नहीं आ रही थी और ट्रक में काफी गर्मी लग रही थी तो मैं नीचे उतर कर पास नीम के पेड की छांव में बेंच पर बैठा रहा। आधे घंटे में गगजी भी आ गया और हम वहां से रवाना हो गए।

माधापर गांव के पास बहुत ज्यादा लोगों की भीड थी। हमें ट्रक को बहुत धीरे धीरे और संभालकर आगे निकलना पडा। वहां से आगे निकलते ही खुला और सूना रोड सामने था। कुछ देर आगे चलकर शेखपीर तिराहे पर हमने ट्रक को पेट्रोल पंप पर रोका और ट्रक में  इंधन भरवाया। यदि मैं भुला नही हूँ तो शायद 13450 रुपये का,  280 लिटर डीजल ट्रक की टंकी में आया,  टंकी फूल हो गई। टंकी में करीब साडे तीन सौ लीटर की क्षमता होती है मतलब की 70 लीटर इंधन टंकी पहले से में था। वहां पंप पर ट्रक मालिक का उधार चलता है तो पैसे वहीं देगा हमें बस रजिस्टर में लिखवाना था जो हमने लिखवा दिया। ट्रक मालिक की सब ट्रकों का इंधन यही इसी पंप पर भरा जाता है,  उसकी कुल मिलाकर बीस ट्रक है ऐसा गगजी बता रहा था मुझे।

मैंने गगजी से पूछा कि तुम्हें शेठ पगार कितना देता है तो गगजी ने बताया कि बारह हजार महीना और चार सौ रुपये रोजाना खर्च अलग जिसने खलासी का भी पगार के सिवा सब खर्च जुडा होता है। और मालिक टोल टैक्स भी ड्राइवर को देता है जिसमें ड्राइवर जो बचाये वो उसका... करीब करीब अहमदाबाद की एक ट्रीप में 4600 रुपये का टोल टैक्स होता है। जबकि अब तक दो टोल गेट गगजी टोल प्लाजा के पास वाली कच्ची सडक से गुजर कर बिना पैसे चुकाये निकल आया था। ट्रक ड्राइवर कुछ पैसा कमाने के लालच में पैसेंजर भी बिठा लेते हैं ट्रक में पर पुलिस परेशान करती है तो गगजी पैसेंजर नहीं बिठाता ऐसा उसने मुझे बताया।

शेखपीर तिराहे से एक सडक अंजार, गांधीधाम की ओर जाती है और दूसरी भचाउ होते हुए आगे.. हमें अंजार, गांधीधाम जाकर क्या करना था तो हम भचाउ की ओर अपनी ट्रक मोड दिये....

__________________________________________________________

......... जारी

* फोटो नोट

फोटो-1- जहाँ हमने खाना खाया वहां ढाबे पर रुके ट्रक

फोटो-2- शेखपीर के पास पसार होता रेलवे ट्रैक

फोटो-3- आइने पर टिके मेरे पैर जबकि तब पीठ लेटी हुई थी

फोटो-4- ट्रक में टंगे लिंबू, मिर्च और कोयला, जो दस रुपये में गगजी खरीद लाया

No comments:

Post a Comment