Sunday 29 November 2015

ट्रक यात्रा - 13

हमारी ट्रक का नंबर आ गया था।  हम तुंरत ट्रक लेकर फैक्टरी के गेट पर आ गए। गेट के पास ओफ़िस में मैं बिल्टी लेकर गया। वहां पर ट्रक की ऐंट्री हूई और मेरा पहचान पत्र भी देखने के लिए मांगा गया। उन्होंने बिल्टी वहां पर ही जमा रखी कहा कि ट्रक खाली करके रिटर्न आयेगें तब मिलेगी।

ट्रक के अंदर जाने की मंजूरी मिल गई और फिर अंदर घुसते ही वहाँ स्थित वे-ब्रिज पर वजन चेक हुआ ट्रक का। वहां से हम ट्रक को कुछ दुर बॉयलर के पास खाली करने की जगह पर ले गये जो फैक्टरी के अंदर एक कोने में था। वहां पर दो ट्रक ओर खाली हो रहे थे। दो दो मजदूर मिलकर एक ट्रक खाली करते थे। ड्राइवर को ही मजदूरो को खाली करने की मजदूरी देनी होती थी। कोयले के उपर बिछाई पन्नी और रस्सी खोल कर और फिर समेट कर केबिन की छत पर बांध दिया हमने। बस फिर दोनों मजदूर कुदालें लेकर ट्रक खाली करने में लग गए।

पूछने पर मजदूरों ने बताया कि वो राजस्थान के पाली के पास के किसी गांव के हैं। रोज दो मजदूरो की एक जोडी को ज्यादा से ज्यादा तीन ट्रक मिलते खाली करने को। एक ट्रक के छै सौ रुपये लेते हैं खाली करने के। मजदूरी अच्छी खासी निकलती है पर रोज रोज तीन ट्रक नहीं मिलती। एक दो ही मिलती है और फिर महीने में आठ दस दिन छुट्टी भी तो होती है।

करीब ढाई घंटे में उन्होंने ट्रक खाली कर दिया तब तक मैं और गगजी सोये रहे ट्रक में। उन्हें छै सौ रुपये दिये और पीछे का डाला लगाकर हम फैक्टरी से बहार जाने को निकले। शाम को साडे पांच बज रहे थे, वे-ब्रिज पर फिर खाली ट्रक का वजन चेक हुआ। वहां से  फिर  गेट पर आकर बिल्टी ली उस पर ट्रक खाली हुई ऐसा एक सिक्का लगा दिया उन्होंने और हम फैक्टरी से बाहर आ गए। ठेले वाले के पास जाकर ट्रक खडी की और चाय पीने बैठ गए। इस दौरान गगजी ने ट्रक मालिक को फोन करके बताया कि ट्रक खाली हो गया है अब रिटर्न क्या माल भरना है.?  तो ट्रक मालिक ने बताया कि कहीं होटेल पर ट्रक खडी कर दो, तब तक मैं रिटर्न माल का जुगाड करके फोन करता हूं।

हम वहाँ से चाय पीकर निकले, आगे कहीं हाईवे होटेल पर ट्रक खडी करने की सोच रहे थे। आज पूरा शहर शांत दिख रहा था। शहर से निकलते हुए पसीने छूट गए ट्राफिक में हमारे। बाईक और ऑटो रिक्शा वाले पता नहीं कहां कहां से घूस आते बीच में। ट्राफिक सेन्स जरा सा भी नहीं अहमदाबाद के इन बाइकर्स और ऑटो रिक्शा वालों में। अकाद जगह तो एक एक्टिवा स्कूटर वाली आंटी मुझे धमकाते हुए और गाली देकर निकल गई.!! हाथनी जैसी दिख रही थी, पता नहीं स्कूटर कैसे बोझ उठा लेता होगा उसका.!!! छोटे वाहन चालक ऐसे हमारी ओर घूरकर देखते थे कि जैसे  ट्रक वाले रोड पर चलकर कोई गुनाह कर रहे हैं।

कुछ आगे जाकर असलाली कस्बे के पास ओवरब्रिज आया, यहां पर एक हाईवे होटेल पर हमने ट्रक खडा कर दिया। शाम के साडे सात हो रहे थे। ट्रक मालिक ने फोन करके बताया कि खाना खाकर सो जाओ सुबह कुछ होगा रिटर्न माल सामान का। मुझे नहाना था पर इस होटेल पर नहाने की कोई व्यवस्था नहीं थी। मैं दो दिन से नहाये बिना था, शरीर में पसीना खाये जा रहा था और कपडे भी एकदम मेले हो गए थे। हमने वाॅश बेसिन पर हाथ मुँह धोये और खाना खाया। खाना ठीक ठाक था और दही भी नहीं था वहां तो फिर मैंने खिचडी कड़ी पर ज्यादा जोर दिया। कुछ देर हम खाने के बाद वही बैठे रहे फिर कुछ देर बाद सोने के लिए ट्रक में गए। गगजी ट्रक की केबिन में ही सोया और मैं चद्दर और एक सीट लेकर केबिन की छत पर चढ गया। कुछ देर आसमान में तारे देखता रहा फिर कब नींद आ गई पता ही नहीं चला।

आधी रात को पेशाब के लिए उठा तो देखा पास में कोई सोया हुआ है। मुझे तो आश्चर्य हुआ कि कौन है.!!! ठीक से देखा तो पता चला कि वो दुसरी ट्रक का वही सतरह वर्षीय खलासी लडका था। क्या था न कि रात को हमारे सोने के बाद गगजी को उन ट्रक वालों का फोन आया कि कहां हो आप लोग?  हमारे ट्रक खाली हो गए है। तो गगजी ने उन्हें बताया असलाली गांव के पास ओवरब्रिज के निकट एक होटेल पर है। तो उन्होंने कहा हम आते हैं वहां, और कुछ देर बाद वो आये,  रात को उन्होंने और गगजी ने साथ मिलकर चाय वाय भी पी पर मुझे नींद से नहीं जगाया। शायद लडके ने गगजी से मेरे बारे पूछा होगा तो गगजी ने बताया होगा कि उपर सो रहा हूँ ट्रक की छत पर। और वो सोने के वक्त अपनी ट्रक वालों से छिपकर मेरे पास आकर सो गया। नहीं तो आज भी पूरी रात उसकी हालत हररोज की तरह खराब होती। योन शोषण रोजाना था इसके साथ। मैं पेशाब करके वापस सो गया, सुबह होने में और दो तीन घंटे बाकी थे।

_____________________________________________________

........ जारी

* फोटो नोट -

फोटो-1- फैक्टरी के अंदर बॉयलर है वो बिल्डिंग

फोटो-2,3- ट्रक से खाली होता कोयला

फोटो-4- हाईवे होटेल की शाम

No comments:

Post a Comment