Sunday 29 November 2015

ट्रक यात्रा - 3



होटेल से चाय वाय पीकर हम साडे दस बजे अमरसर खान से अहमदाबाद की तरफ निकले। मैंने ट्रक की लेफ्ट साइड में अपनी बैठक जमाई और राइट साइड में गगजी ड्राइविंग सीट पर ट्रक चलाते जा रहा था। ट्रक की केबिन में लकडी की बैठकें बनाई हुई थी जिस पर पतली सीटे डाली हुई थी। हालांकि वो इतनी मुलायम और आरामदायक नहीं थी पर फिर भी कह सकते हैं कि इतनी बुरी भी नहीं थी।

लकडे की बैठकों के नीचे बडे बडे बक्से बनाये हुए थे। जिसमें से एक में  नट, बोल्ट, पाना, पक्कड़ जॅक, टामी आदि टूल्स रखे हुए थे। दुसरे बक्से में मैले और धूल जमे चादर, रजाई, तकिया वगैरह थे। एक और बक्सा था जिसमें गगजी के कपडे, ट्रक के जरुरी कागजात और एक पूराना टेप रखा हुआ था जिससे कभी गगजी गाने सूना करता था।

आगे सामने वाले पारदर्शी शीशों के बीच की पट्टी थी जो दोनों शीशों के बीच जैसे दो आँखों के बीच नाक हो वैसे बनी खडी थी। बीच वाली पट्टी ट्रक के केंद्र में थी और ट्रक की मध्यरेखा भी। पट्टी पर एक साथ बहुत सारे भगवान, देवी, देवता की तस्वीरें चिपकी हुई थी। और उनके नीचे अगरबत्ती का स्टेंड था। उन भगवानों की छवियों पर एक प्लास्टिक के फूलों की माला लटक रही थी। इतनी सी छोटी, सकरी जगह में हनुमानजी,  गणेशजी,  शिवाजी,  कृष्ण कन्हैया के साथ साथ दो और नये युग के बाबा भी बिराजे हुए थे।  और भी कई जगह ट्रक की केबिन में भगवान, देवता,  बाबा बिराजमान थे। केबिन की पिछली दिवार पर जहाँ लंबी सोने की सीट है वहाँ पर बस एक पोस्टर था जो माधुरी दीक्षित जी का था। और वो मुस्कुरा रही थी...

हमारी ट्रक आगे चल रही थी।  मैं लेफ्ट साइड पर बैठा तिराहे, चौराहे या फिर ओवरटेक करते वक़्त बाहर हाथ निकाल कर पीछे की गाडियों को स्लो या रूक जाने का दिशा सूचन करता और हमारी ट्रक को आगे बढाने का ईशारा करता... जो कि मैं इस काम को ढंग से नहीं कर रहा था और बार बार गगजी मुझे टोकते हुए समझाये जा रहा था। और इस बीच चले जाते ट्रक में हम कई सारी बातें कर रहे थे। खास तो एक दूसरे के बारे में पूछताछ कर रहे थे, जानकारी पा रहे थे।  क्योंकि हमारे बीच पहली ही बार जान पहचान हुई थी।

रास्ता काफी अच्छा था और ट्राफिक भी ज्यादा नहीं था तो ट्रक भारी लोड के बावजूद गति से आगे बढ रहा था। गगजी बहुत ही अच्छा ड्राइवर था और करीब बीस साल के ड्राइविंग का अनुभव था उसे। दुसरी एक और अच्छी बात थी कि न वो बिडी, सिगरेट पिता था न तम्बाकू या गुटका खाता था। वो  बता रहा था कि पहले सब व्यसन थे पर ब्याह के बाद पत्नी ने छुडा दिये। मैं सोच रहा था कि एक औरत कितना बडा बदलाव ला सकती है.!! मुझे उस स्त्री के प्रति काफी सम्मान प्रकट हुआ। जिसने काफी दृढता और धैर्य के साथ अपने पति को निरव्यसनी बनाया था।

बातों बातों में समय कट रहा था और रास्ता भी... माता के मढ(माताना मढ) आकर रोड के किनारे गगजी ने ट्रक रोकी। मुझे कहां चलो दर्शन कर आते हैं "आशापूरा देवी" के.. मैंने कहां तुम जाओ मुझे नहीं आना। उसने मुझे गौर से देखा और कहा 'अभाग थाहरा(बदनसीब तुम्हारा).." और फिर मुझे एक स्क्रू ड्राइवर लेकर ट्रक के पहियों से कंकर,  किल,  कांटा चैक करना और निकालना सीखाया। (स्क्रू ड्राइवर को गगजी पेचकच कहता है जबकि और ड्राइवर डिसमिस कहते हैं) फिर सीख दी कि जहाँ भी ट्रक रुके तो इसी तरह पहिये चैक करना ताकि ट्रक में पंचर न पडे। मुझे ट्रक का ख्याल रखने और पास की चाय की होटेल से पानी की बोतल भरने को कहते हुए वो आशापूरा देवी के मंदिर की ओर चला गया।

माता के मढ में आशापूरा देवी का बडा सा मंदिर है। श्रद्धालू दूर दूर से आशापूरा माता के दर्शन के लिए यहां आते हैं। कच्छ प्रदेश की वो कुलदेवी और इष्टदेवी है। सदियों से इस धार्मिक स्थल का महत्व रहा है। इस गांव को इस लिए ही माता का मढ नाम दिया गया है जिसका अर्थ होता है माता का स्थल या माता का मंदिर... यहां पर नवरात्रि में नौ दिन श्रद्धालुयों का बहाव रहता है , लोग कहां कहां से पैदल चलकर आते हैं और हाईवे पर सैंकडों किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला बनी रहती है।

मैंने ट्रक में रखी खाली बोतलें भर ली। फिर पास में ही निकलती सूखी नदी की झाडियों में पेशाब पानी करके कुछ हल्का हुआ। कुछ देर ट्रक में बैठा रहा इतने में गगजी आ गया.. वो एक फूलों की माला और कुछ प्रसाद लाया और आधा नारियल... फूलों की माला को ट्रक में स्थित भगवानों पर चढाया और मुझे मूंगफली का प्रसाद दिया जो मैंने प्यार से ले लिया और फिर नारियल को तोड कर खाया... घडी में बारह बजने में दस मिनट कम थे और गगजी ने फिर से ट्रक को स्टार्ट किया,  हॉर्न बजाया,  मंदिर की तरफ नमस्कार करते हुए जय माँ आशापरा बोल कर उसने ट्रक को आगे बढा दिया....

__________________________________________________________

......... जारी

* फोटो नोट

फोटो-1- स्क्रू ड्राइवर जिससे पहियों में से कंकर, कांटा निकाला जाता है

फोटो-2- केबिन में सोने की सीट पर पडा मेरा बैग

फोटो-3- फोन पर बात करता गगजी

फोटो-4- भगवानों की छवियों पर लटकती फूल माला जो हवा में उड रही है

फोटो-5- स्टीयरिंग के पास सोनल देवी की तस्वीर

फोटो-6- मेरा बैग

No comments:

Post a Comment