Sunday 29 November 2015

ट्रक यात्रा - 6



शेखपीर तिराहे से आगे बढते ही सडक खराब आती है, जगह जगह पर खडे हैं और सडक का काम अधूरा पडा है।। कई महीनों से इस रोड का काम चालू है पर बीच बीच में किसी कारण वस रूक जाता है और जो अब तक पूरा नहीं हुआ, कोई बडा ग्रहण लगा है जैसे। कुछ देर आगे चलकर गगजी ने कहां की अब तुम सो जाओ अगर नींद आ रही हो तो, मैंने मना किया कि अब नींद उड गई मेरी।

एक बात मैं तब से नोटिस कर था जब से ट्रक में आया था कि गगजी सडक पर दिखाई देने वाले हर मंदिर, मस्जिद के पास गुजरते ही ट्रक का हॉर्न बजाता और  कुछ बडबडाता, और हां कभी कभी हाथ से नमस्कार की मुद्रा भी बनाता। और गगजी सिर्फ अकेला ही नहीं पर ज्यादातर ट्रक ड्राइवर इसी तरह सडक पर आने वाले किसी भी धर्म के देवालय के प्रति  सम्मान और आस्था दिखाते है और हॉर्न बजाते हैं.!!

इसी ही तरह गगजी सडक पर जहाँ भी कोई स्त्री और खास तौर पर युवान स्त्री लडकी दिखे तो तब भी हॉर्न बजाकर, अश्लील उदगार निकालते हुए एवं आहें भरते भरते कुछ गालियाँ भी बकते हुए काफी दूर तक उसे याद करता है। और न सिर्फ गगजी पर कुछेक अपवाद को छोड हर ट्रक ड्राइवर ऐसी भद्दी सोच और आचरण दिखाता है.!! मुझे गगजी की इस बात से काफी गिन आ रही थी। मैंने उसे कहा भी कि इस तरह स्त्रियों के प्रति व्यवहार जताना निहायत घटिया सोच हैं पर उसने एक तुच्छ कहावत; "रांडानां पेट में अट्टो और......." कहकर मेरी बात को उडा दिया। असल में ये सिर्फ गगजी की नहीं हमारे अधिकांश मर्दवादी भारतीय समाज की मानसिकता है स्त्रियों के प्रति। स्त्रियों को सिर्फ घर में बिना पैसे लिए काम करने वाली नौकरानी और बिना पैसे लिए संभोग करने वाली सर्टिफाइड वैश्या ही समझा जाता है.!!  शिक्षित वर्ग में कुछ हद तक स्त्री को आजादी मिली है पर ग्रामीण एवं अशिक्षीत वर्ग में जो देश बहुत बडा वर्ग है उस में आज भी स्त्री को सिर्फ एक साधन ही माना जाता है। बच्चे पैदा करो,  खाना बनाओ,  रात में साथ सोओ और घर में कैद पडी रहो.. गगजी की ऐसी बातें सुनकर मेरे मन में  ट्रक यात्रा के प्रति और ड्राइवर के लिए पहली बार उदासी एवं नकारात्मकता दिखी।

सडक के किनारे गांव और फैक्टरीयाँ पीछे छोडते हम बढते जा रहे थे। और अब हमारे बीच बातें कम हो गई थी, और कितनी देर बातें करते हम.? कुछ देर बाद आदमी अपना अपना एकांत ढूंढ लेता है। साथ रहकर भी साथ नहीं होते कुछ और जगह होते हैं हम सब। आगे चलकर हाईवे पर चाय की एक होटेल पर गगजी ने ट्रक खडी की। वहां  बहुत सारी ट्रके खडी थी, बहुत मुश्किल से हमें पार्किंग के लिए जगह मिली। जबकि एक आदमी वहां था जो सबको ठीक से पार्किंग करवा रहा था। मुझे गगजी ने बताया कि यहां की चाय बहुत अच्छी है इसलिए यहां इतनी भीड है होटेल पर।

मैंने और गगजी ने वहां होटेल के बाहर लगे बहुत सारे पानी के नलों पर हाथ पैर धोये, और भी बहुत लोग थे जो वहां पर हाथ पैर धो रहे थे। हम जाकर होटेल के छपरे के नीचे खटिया पर बैठे इतने चाय आई।चाय पीकर लगा कि वाकई चाय कुछ बढिया थी। हमने दुबारा चाय मंगाई, और दोनों दो दो कप चाय घटक गये.!!  चाय की होटेल के छपरे से लगकर और छोटा छपरा था वहां पांच सात लोग जुआ खेल रहे थे। होटेल के छपरे के दूर के एक कोने में बैंच पर बैठकर एक लोकगायक संतार लेकर भजन गा रहा था। कुछ ड्राइवर उसे घेर कर खडे खडे सुन रहे थे। वो मीरां का एक पद गा रहा था,  बहुत मुश्किल से मैं उसके बोल समझ पाया; "इये रे शरमेळीये पेहली रे पाळ, वेरागण हूँ रे बनी..."  ट्रक ड्राइवर उसे दस बीस रुपये देते और वो एक एक भजन गाता जाता।  चाय वालें ने बताया कि वो रोज आता है और यहीं बैठकर भजन गाता है।  पास के गांव का है, पहले ग्वाला था अब बस भजन गाता है। गगजी ने भी उसे दस रुपये दिये। हमें यहां आये काफी समय हो गया था तो मैंने गगजी को कहां कि चलो चलते हैं तो उसने बताया कि कुछ और उसकी जान पहचान के ट्रक ड्राइवर आ रहे हैं,  वो सब यही आकर रुकेंगे। थोडे ही पीछे आ रहे हैं उनको मिलकर आगे चलेंगे। शायद उन्होंने फोन करके गगजी को बताया होगा कि पास ही है तो आकर मिलते हैं।

पंद्रह मिनट में वो ट्रके आ गई, तीन ट्रके एक साथ थी। वो सिमेंट ले जा रहे थे बीकानेर को। हम सबने फिर से साथ साथ चाय पी। मैं उन ट्रक ड्राइवरों में से किसी को भी जानता नहीं था पर उन में से दो लोग मुझे पहचानते थे.!! उन्होंने पहचान देते बताया कि जब पान्ध्रो की कोयले की खान जब बंद कर दी गई थी तब उसे लेकर आंदोलन चल रहा था उसका आपने नेतृत्व किया था।  हम ट्रक ड्राइवरों और उस खान में मजदूरी करने वालों के लिए आपने बडा योगदान दिया था, हम तब से आपको जानते हैं।
मुझे वो आंदोलन याद आ गया। हमारे यहां लीडर लोगो को कोई भी मुद्दा चाहिए, फिर मुद्दे पर राजनीति चलती हैं।मुद्दे पर कोई निराकरण आये न आये पर  इस तरह लीडर अपनी जमीन मजबूत करते हैं.!! लेकिन  मुद्दे से जुडे सामान्य लोगों को बहुत कुछ आशाएँ होती है,  वो अपने लीडर के प्रति काफी विश्वास बांधे बैठे हुए होते हैं। और वो आम लोग जिवन भर लिडर को याद रखते हैं और उसके साथ भी चलते हैं। मैं उस आंदोलन में असफल रहा था फिर भी उन्होंने याद रखा था मुझे. !!   एक असफल आंदोलन के बावजूद भी इस बात को लेकर उन्होंने मेरे प्रति काफी सम्मान प्रकट किया। और उनको आश्चर्य भी हुआ कि मैं ट्रक में क्या कर रहा हूं,  तो फिर मैंने अपनी ट्रक यात्रा के बारे में बताया। पता नहीं उन्होंने कितना विश्वास किया होगा इस बात पर..!! और इन सब बातों से गगजी अनजान था क्योंकि वो और चार लोगों से मिलकर किसी बात पर ठहाके ले रहा था... कुछ ही देर में हम सब अलग हो कर अपने अपने गंतव्य की ओर ट्रक लेकर चल दिए।

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......... जारी

* फोटो नोट

फोटो-1-  चाय पर चर्चा, चाय की होटेल के पीछे

फोटो-2- भजन गाता लोक गायक

फोटो-3- होटेल के बगल में जुआ खेलते खेली

फोटो-4- बीकानेर जाते ट्रक ड्राइवर,  दो बुड्ढे जो मुझे पहचानते थे

फोटो-5- चाय की होटेल पर खडी ट्रके

फोटो-6- "द खलासी"- मैं आइने में, खुद को सेल्फी में दर्ज करते

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