Sunday 29 November 2015

ट्रक यात्रा - 19

#उपसंहार

ट्रक यात्रा जब मैंने शुरू की थी तब काफी उत्साहित और जोश में था। एक अलग तरह की जर्नी और अनुभवो के रोमांच के साथ साथ सामान्य जीवन की जद्दोजहद से होकर गुजरना था इस दौरान।  देश के एक बडे और सामान्य कामदार वर्ग को नजदीक न सिर्फ जानना समझना मिल रहा था बल्कि उनका जीवन जीना और कार्य सीखना भी मिल रहा था। हमारे देश में मजदूरों, किसानों के सिवाय ट्रक ड्राइवर और खलासी वर्ग ही कामदारो में तीसरे स्थान पर है। न कि सिर्फ हमारे देश में पर पूरी दुनिया में ट्रक ड्राइवरों का वर्ग मजदूरों और किसानों के सिवाय सबसे ज्यादा तादाद में होगा।

इन ट्रक ड्राइवरों और खलासीयों की भी अपनी समस्याएं हैं, मुश्किलें है। सबसे पहले देखा जाए तो  ट्रक ड्राइवरों के सडक अकस्मात सबसे ज्यादा होते हैं।  इनका कार्य बहुत ज्यादा ही रिस्की है। अकस्मात में मृत्यु हो जाने के बाद इन ट्रक ड्राइवरों के परिवारजनों का कोई आधार नहीं बचता। गरीब परिवार में कमाने वाला ही चला जाए तो फिर परिवार की हालत बुरी तरह से प्रभावित होती है। मैंने इन दिनों में जाना कि हमारे देश में  95 %  ट्रक ड्राइवरों के पास जीवन विमा नहीं होता.!! हाँ, भाई 95 %... सरकार को और हमारे समाज को  इस बारे सोचना चाहिए। ये एक बडा और अहम मुद्दा है। सरकार को किसी योजना के तहत इन सब ट्रक ड्राइवरों,  खलासीयों की जीवन बीमा पॉलिसी बनवानी चाहिए ताकि कभी किसी अकस्मात में ट्रक ड्राइवर की मौत होती हैं तो उसके परिवार को आर्थिक सहायता मिले जिससे उनका जिवन ठीक से बसर हो सके।

मैंने यात्रा के दौरान देखा है कि ज्यादातर ड्राइवर रोज कम से कम बीस तीस रुपए किसी मंदिर, मस्जिद,  दरगाह पर या किसी भिक्षु को दान में देते हैं। यदि यही पैसा किसी योजना के अंतर्गत किसी जीवन विमा पॉलिसी में लगाया जाये तो काफी सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।इनके इन पैसों की बचत होने से जरुरत के वक्त काफी मदद मिल सकती है।  हालांकि ज्यादातर ड्राइवर अशिक्षीत होते हैं उन्हें ऐसी दान न देने और बचत करने की योजना के बारे में काफी मेहनत करके समझा बुझाना होगा.!!

एक और बडी समस्या है इनकी की यात्रा के दौरान इनकी प्राथमिक जरूरतें पूरी न होना। जैसे कि नहाना, धोना, सोना।  इस के लिए मुख्य सडक मार्गों पर हर पचास सौ किलोमीटर पर इन के लिए सोने और नहाने धोने की व्यवस्था भी होनी चाहिए। सरकार को ड्राइवरों के लिए जगह सडक पर सेल्टर बनाने चाहिए। इन लोगो में मैंने देखा है कि काफी डर होता कि कहीं कोई ट्रक लूट लेगा या कुछ चोरी हो जायेगी तो.!!  दरअसल इनका ये डर थोडा ज्यादा जरूर है पर इनकी असुरक्षा की भावना बेबुनियाद बिल्कुल नहीं है। सरकारों को इन सब बातों पर ध्यान देना चाहिए और कुछ अहम कार्य करना चाहिए।

मुझे इस यात्रा में कई बार न सिर्फ गगजी पर गुस्सा आया पर बीच में यात्रा छोड कर वापस घर लौट जाने का भी मन किया। एक तो बहुत दिनों तक नहाये धोये बिना रहना,  दुसरा पंचर के समय हालत खराब हो जाना,  तीसरा स्त्रियों के प्रति इन ड्राइवरों का रवैया और सोच.... और भी कुछ ऐसी चीजें थीं जो गगजी और अन्य ट्रक ड्राइवरों के प्रति एंव ट्रक यात्रा के लिए मेरे अंदर घृणा उत्पन्न कर रही थी।

मैंने इस दौरान ये भी देखा कि पुलिसवालों का रवैया सामान्य लोगों से किस तरह बेहूदा और घटिया होता है। पुलिस इन ट्रक ड्राइवरों से अच्छे से व्यवहार क्यों नहीं कर सकती.? क्यों इन्हें कीडा मकोड़ा समझा जाता है,  जैसे कि कोई अपराधी हो ये .!!  ये किसान, मजदूर,  ट्रक ड्राइवर सब हमारे देश की प्रगति और विकास का इंधन है। हमारे समाज के जीवन की खुशहाली इन्ही लोगों से है। ये हमें अनाज देते हैं,  हमारे लिए घर बनाते हैं,  हमारी जीवन जरुरी चीजें हम तक पहुंचाते हैं। हमें इन सबका सम्मान और आदर करना चाहिए।

मैंने देखा कि ट्रक ड्राइवरों और खलासीयों में समलैंगिक संबंध या वेश्याओं के साथ शारीरिक संबंध  काफी ज्यादा है। इससे AIDS फैलने का भी खतरा बड जाता है, इन्हें इन सब चीजों की शिक्षा देनी चाहिए और कंडोम आदि का इस्तेमाल करने की भी सीख देनी चाहिए।

ये यात्रा मेरे लिए एक बडी उपलब्धि थी। मैंने काफी कुछ नया जाना और सीखा। काफी कुछ अच्छे, बुरे अनुभव हुए। अपने आप में बेफिक्र,  बेवजह,  बेवक्त कहीं भी चले जाने के लिए साहस और मजबूत हुआ।  इस दौरान एक बडे कामदार वर्ग को नजदीक से जान पाया,  समझ पाया और जी पाया ये सबसे बडी उपलब्धि थी मेरी। हालांकि इन चार दिनों में बहुत कम ही अनुभव हुआ होगा इन ड्राइवरों के जीवन का पर जो कुछ भी अनुभव मिला ये बहुत अहम था मेरे लिए।

यात्राएं दुखद हो या सुखद पर यात्राएं अनुभव, साहस,  सूझबूझ और ज्ञान ढेरों दे जाती है और यहीं असल में यात्राओं की उपलब्धि है.....

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समाप्त

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