Sunday 29 November 2015

ट्रक यात्रा - 9

रात के नौ बजने ही वाले थे। पूल पार करते ही कुछ आगे जाकर पीछे वाली दोनों ट्रक भी आ गई। अब तीनों ट्रक साथ साथ आगे बढ रहे थे। अब  सडक पर ट्रकों के अलावा दुसरे वाहन कभी कभी ही दिखाई देते थे, ज्यादातर तो ट्रके ही आ जा रही थी। सडक पर ट्राफिक तो बिल्कुल नहीं था। चारों ओर सन्नाटा छाया हुआ था।  रात को सामने की लाईन से आने वाली ट्रकों की लाईट्स पास आते ही हमारे उपर तेज रोशनी डालती और तेज रोशनी अंधा ही कर देती।  मैं तो रोशनी से बचने के लिए आंखे ही भींच देता अपनी, पता नहीं गगजी से कैसे ट्रक चला लेता होगा इस वक्त.!! गगजी काफी अभ्यस्त था इस तरह की तेज रोशनी से तो उसे शायद इतनी दिक्कत नहीं होती होगी।

आगे माळिया नामक बडा कस्बा आया। गगजी ने मुझे बताया कि यहां पर बहुत सारी ट्रकों की रात के समय में लूट होती है। यह दस बीस किलोमीटर का एरिया बहुत खतरनाक है। पता नहीं कितना सच था गगजी की इस बात में पर मैंने तो एक गप्प ही समझी और शायद वो मुझे नया खलासी समझकर डरा भी रहा हो.!! मैंने इतनी गंभीरता से नहीं लिया इस बात को।
 
माळिया पसार करते हुए ओवरब्रिज के पास चौराहे पर एकाद एसटी बुरी तरह बस जली हुई थी। पहली बार गुजरात की हिंसा का प्रत्यक्ष सबूत दिखा हमें अब तक... माळिया से कुछ आगे चलकर एक तिराहे पर एक और बस तथा एक पुलिस जीप जलकर राख हुई दिखाई पडी।मैं समझ गया कि किस तरह प्रदर्शनकारीयोंने आक्रोश और मुर्खता में यह सब किया होगा.!! कुछेक पुलिसकर्मी वहां तिराहे पर खडे डयूटी दे रहे थे।

यह सब देखकर हम सब झेंप गये और कुछ हद तक डर भी पैठ गया। और मैं व्यक्तिगत बहुत दुखी था इस हिंसा से।महात्मा गांधी के प्रदेश में ऐसी हिंसा कहां तक शोभा देती है.!? पब्लिक प्रोपर्टी का बहुत सारा नुकसान हुआ था और पूरे प्रदेश का माहौल अशांत हो गया था और उपर से गुजरात दो दिनों से बंद था तो रोज रोज का कमाकर खाने वाले सामान्य मजदूर लोगों पर क्या गुजरी होगी भला.!? किसी भी सभ्य और प्रगतिशील समाज के लिए या  विकसित कहे जाने वाले प्रदेश के लिए ऐसी हिंसा कालिक समान है, शर्म है। जाहिर सी बात है कि राज्य सरकार असफल रही थी इस सारे मुद्दे पर और पुलिस ने जो रवैया अपनाया था वो भी हमारे तंत्र, कानून और व्यवस्था के लिए शर्म और लानत का विषय था।

हम सडक गति से आगे बढते जा रहे थे। हलवद से कुछ पहले एक तिराहे पर दुर से हमें बहुत सारी भीड दिखाई दी। भीड देखकर हमारा डर बढ गया। दूर से देखते ही गगजी ने मुझे कहां की टामी निकाल कर चौकन्ने होकर बैठ जाओ,  गगजी ने पीछे पीछे आ रही ट्रकों को भी फोन करके बताया कि कुछ पब्लिक हैं तो चौकन्ने रहना।  मैं लोहे की बडी सी टामी निकाल कर हाथ में कसके थामे लेफ्ट साइड में पर बैठा रहा सहमा सहमा, गगजी ने छोटी टामी अपने नजदीक रखी थी। हमारा गला सूख सा गया था। मैं सोच रहा था कि टामी से हम भला क्या कर लेंगे इतनी सारी लोगों की भीड समूह का और कही इसी टामी से वो हमें ही न तोड फोड दे..
पर मुझे अपने कमांडर गगजी का आदेश मानना ही था। वो कमांडर था और मैं उसका लेफ्टिनेंट.! वैसे देखा जाए तो हर ट्रक में ड्राइवर कमांडर होता है और खलासी उसका लेफ्टिनेंट। लेफ्टिनेंट को अपने कमांडर के हर ऑर्डर्स मानने ही पडते हैं वरना कोर्ट मार्शल होने का खतरा होता है.!!

तिराहे के कुछ पास जाते ही पता चला कि कोई छोटा सा अकस्मात हुआ था यहाँ। किसी छकडे वाले नें बाईक वाले को ठोक दिया था तो लोग वहां जमा हो गए थे और तमाशा देख रहे थे। क्योंकि छकडे वाला और बाईक वाला WWF खेल रहे बीच सडक पर। हमने राहत की सांस ली, टामीयों को वापस जगह पर रखा और दूर से द्वंद्व द्दृश्य देखते निकल गए।

हलवद में कुछ कुछ लोग सडको पर रात्रि वॉकिंग के लिए घूमते दिखे.. हलवद पार करते ही  पीछे की ट्रक से फोन आया कि कहीं होटेल पर रुको, भूख लगी है, खाना खा लेते हैं।  वैसे भूख तो मुझे भी काफी लगी थी.. थोडे ही आगे गगजी ने एक होटेल पर ट्रक खडी की।  पीछे वाली ट्रके भी पास आकर खडी। मैंने ट्रक के पहियों को चेक किया और कंकर वंकर निकाले तब तक गगजी ने ट्रक में अगरबत्ती जलाई और भगवान की पूजा अर्चना की। हम सबने वाॅश बेसिन पर हाथ मुँह धोकर होटेल में टेबल पर जम गए। होटेल की घडी में रात को सवा दस बजने को आऐ थे। सबने मिलकर बहुत सारी सब्जी, रोटी,  दाल-चावल आदि मंगाया  मैंने तो रोटी और पनीर की सब्जी खाई और दही था तो सब छोडकर दही और रोटी पर ही लूट मचाई... बहुत सारा पेट भरके खा लिया। और फिर मैं ट्रक में चला गया और सीट पर लेट गया। पैसे किसने दिये पता नहीं पर वो सब आधे घंटे बाद आये और गगजी ने मुझे उठाया। मुझे तो नींद आ गई थी। फिर गगजी ने ठीक से आगे वाले दोनों शीशे साफ किये और मुझे कहा अब ठीक से देख लो अगली बार तुम्हें ही करने हैं साफ।

फिर ट्रक चालू करके हम निकल पडे, दोनों दरवाजों से ठंडी हवा आ रही थी और खाना भी ज्यादा खा लिया था तो मुझे नींद आने लगी थी। मैंने गगजी से कहा मैं सो जाता हूँ भाई और मैं तो लंबी तान के सो गया।

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......... जारी

* फोटो नोट -

फोटो-1- रात को ट्रक चलाते चलाते फोन पर बातचीत करता गगजी

फोटो-2- माळिया के पास एक तिराहे पर एक चाय की दुकान

फोटो-3- होटेल पर लाइन में खडी हमारी तीनों ट्रक और होटेल

फोटो -4, 5- हमारा रात का लजीज जायका ;)

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