Saturday, 28 November 2015

ट्रक यात्रा-1

अमरसर खान से अहमदाबाद - ट्रक यात्रा - 1
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काफी महीनों से दो वजहों से मैं पैसे बचा कर जोड रहा था। एक तो यह कि दिल्ली स्थित होना चाहता था तो वहां शुरुआती दिनों में अच्छे से सरवाइवल कर सकू इसलिये कुछ पैसे बचा रहा था। और दुसरी वजह कि एक अच्छी वाली साईकिल खरीद कर साईकिल यात्रा करना चाहता था और खास तो पहली यात्रा लेह लद्दाख की साईकिल यात्रा करने की बहुत ईच्छा थी।
पर बचाये हुए पैसो की मेरी शौक से ज्यादा किसी और की जरुरतो के लिए उपयोगिता बढ गई थी तो उसे लोन दे दी। और सोचा कि फिर पैसो की जब बचत होगी तब ये सब करेंगे। और इस तरह आगे पर दोनों शौक टाल दिये।

इस दौरान गांव का एक लडका काफी दिनों बाद मुझे दिखा तो मैंने पूछ लिया कि भाई कहां गायब थे आजकल दिखाई नहीं पडते हो.?  उसने बताया कि वो एक ट्रक में खलासी बनकर काम करने गया था एक महिने तक ट्रक में रहा और ट्रक बहुत सारे प्रदेशों में घूमती रही और वो भी ट्रक के साथ साथ घूमता रहा।
खलासी ट्रक में ट्रक चालक का सहायक होता है जो ड्राइविंग के सिवा सब कुछ अन्य काम करता है। जैसे कि साइड देना,  टायर पंचर हो तो जेक लगाकर पहिया बाहर निकालना और फिर वापस पहिया चढाना। ट्रक को साफ रखना, खासतौर पर ट्रक की केबिन जिसमें चालक और खलासी रहते हैं। ट्रक को चेक करना और जो भी कुछ काम हो वो करना। इस दौरान धीरे धीरे चार पांच महीने में खलासी भी ड्राइवर बन जाता है।

उस लडके की बात सुनकर मुझे भी हुआ अगर मैं ट्रक यात्रा करने जाता हूँ तो बिना पैसे खर्च किए  बहुत सी जगहों पर घूम सकता हूं। और इस बीच मुझे ट्रक ड्राइवरों के जीवन को भी जानने, समझने का मौका मिलेगा एवं काफी नये अनुभव भी मिलेगे। और ड्राइवरों के जीवन के प्रति मुझे बचपन से मेरी रुचि रही है। तो फिर मैंने मन ही मन में ट्रक यात्रा बतौर खलासी बनकर करने की ठान ही ली।
मैंने उस लडके से कहकर एक ट्रक में खलासी का काम पा लिया।  जोकि पहले उसने कहा भी मुझे कि आप कहां खलासी का काम करेंगे.!  पर मैंने जब कहा कि काम भी होगा, घूमने को भी मिलेगा और ट्रक ड्राइवरों का जीवन भी जानने को मिलेगा.. तो फिर उसने एक ट्रक में मुझे जाॅब पर लगा दिया और मुझे एक दस पहिया ट्रक में काम मिल गया। मुझे खाने पीने के अलावा महीने के तीन हजार तक का वेतन मिलने का निश्चित हुआ। जबकि तीन हजार महीना बहुत ही कम वेतन है खलासीयों के लिए पर सबको इतना ही मिलता है और वैसे भी मैं तो तैयार ही था क्योंकि ट्रक जर्नी जो करने को मिल रही थी..!!

मुझे 27 सप्टेंबर को ही काम पर लग जाना था। जब ट्रक पास की अमरसर की कोयले की खान में भरने आयेगा। फिर हमें कोयला भरकर अहमदाबाद जाना था किसी फैक्टरी में खाली करने। हालांकि अहमदाबाद और पूरे गुजरात में  पटेल आरक्षण की रैली के बाद माहौल काफी बिगडा हुआ था और पूरे राज्य में अशांति फैली हुई थी।  और इसलिए ही उस ट्रक का पूराना खलासी  भाग गया था जो अहमदाबाद नहीं जाना चाहता था इस माहौल में तो मुझे काम मिल गया।

मेरे ट्रक ड्राइवर का नाम था "गगजी बाडमेरा"...  करीब चालीस साल की उम्र का,  दुबला पतला सा था वोह।  आधे सफेद बाल और कान में तुगल नाम का गहना पहने रखे थे उसने और बहुत ही ज्यादा बातूनी था। राजस्थान के बाडमेर जिल्ले के शिव तहसील के रत्तनेरी गांव का रहने वाला था। उसके घर में बुड्ढे माँ बाप, बीवी, विधवा भाभी और एक एक भतीजा भतीजी है। उसका भाई भी ट्रक ड्राइवर ही था और किसी रोड अकस्मात में दस साल पहले उसकी मौत हो गई थी। उसके बाद सारे परिवार की जिम्मेदारी भी गगजी पर आ गई थी। सब संयुक्त परिवार में रहते हैं। भतीजी की सगाई हो गई है उसका ब्याह कराना बाकी है। और भतीजा अभी आठवीं कक्षा में पढता है। पास के गांव में पढ़ने जाता है।

मैं अपने बैग में पांच छै टीशर्ट,  पांच शॉर्ट्स, टॉवेल,  एकाद फूल ट्राउजर आदि जरुरी सामान भर के तैयार था। मेरे पास कोई कैमरा नहीं है तो यात्रा की तस्वीरें लेने के लिए अपना मोबाइल फोन ही था जो साथ ले लिया। जबकि यदि आप यात्राएं करने जाते हों और उनके संस्मरण लिखते हों तो जरूरी है कि साथ एक अच्छा कैमरा होना। जो अब मेरे पास नहीं है पर यदि पैसे आये तो जरूर खरीदूंगा कभी।

27 सप्टेंबर की सुबह छह बजे गगजी का फोन आया कि मैं अमरसर कोयले की खान में मैं बीस मिनट में पहुंचने वाला हूँ तुम जल्दी आ जाओ फिर अंदर ट्रक भरने जाना है हमें। मैं अपना बैग लेकर आधे घंटे में अमरसर खान के मुख्य गेट पर पहुंच गया और गगजी पहले ही वहां आ चुका था।  फोन करके चाय की होटेल पर आने को कहा, वहां पहली बार मैं और गगजी दोनों मिले। हाथ मिलाये और साथ साथ चाय भी पी। और फिर ट्रक में जाकर मैंने अपना बैग ठीक से जमाया। फिर ट्रक की मुख्य गैट पर एन्ट्री करा कर हम खान की अंदर चले... मैं ट्रक की लेफ्ट साइड जिसे खाली साइड कहते वहां बैठा और राइट साइड पर गगजी ड्राइविंग कर रहा था जिसे ड्राइवर साइड कहते हैं। और इस तरह हमारी ट्रक कोयला भरने के लिए कोयले के खान में प्रवेश कर गई। और मेरी पहली ट्रक यात्रा शुरू हो गई।

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........... जारी

* फोटो नोट-

फोटो1,2- अपनी बैग के साथ तैयार मैं अमरसर खान पर
फोटो 3- ट्रक ड्राइवर गगजी, ड्राइविंग सीट पर बैठे हुए
फोटो 4- ट्रक में जमाया हुआ मेरा बैग
फोटो 5- हमारी ट्रक











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