Sunday 29 November 2015

ट्रक यात्रा - 14

सुबह साडे सात बजे आंख खुली, देखा तो वो खलासी लडका वहां नहीं था। शायद मुझसे जल्दी उठ गया होगा। ट्रक में देखा तो गगजी भी नहीं था। वो भी उठकर शायद चाय पीने चला गया होगा। मैं होटेल की ओर गया तो देखा गगजी, वो खलासी लडका और दुसरे ड्राइवर वहां बैठे थे। मैंने हाथ मुँह धोया, मुझे ब्रश किये तो तीन दिन हो गए थे। हाथ मुँह धोकर उन सबके पास गया और फिर हम सबने मिलकर चाय पी जबकि वो जल्दी उठ गये थे तो पहले से ही एक बार चाय पीकर बैठे थे।

बैठें बैठें हम कई सारी बातें कर रहे थे और ठहाके मार रहे थे। वो सतरह वर्षीय खलासी लडका मुझसे काफी घुलमिल गया था। उसका नाम  भेरू था, राजस्थान के किसी गांव से था। उसे मेरे मोबाइल में विडियो देखने थे पर मेरे मोबाइल में विडियो नहीं थे। तो बोला गाणा सुनाओ बन्ना,  मैंने अपने मोबाइल में स्टोर लोक वाद्य,  लोक गायकों के गीत,  कविता पाठ आदि सुनाए पर वो सब उसे पसंद नहीं लगे। बोला कि कोई फिल्मी गाणे सुनाओ, पर मेरे मोबाइल में फिल्मी गीत नहीं थे।

इस दौरान बातों बातों में मैंने उन ड्राइवरों को इनडायरेक्टली धमकाया भी कि इस छोटे से लडके का  योन शोषण मत किया करो,  पुलिस में शिकायत दर्ज करा देगा तो जिंदगी भर जेल में सडोगे। पहले तो वो बता रहे थे कि हम कुछ नहीं करते इसके साथ आखिर फिर कहा कि जो हुआ सो हुआ आगे  ऐसा नहीं करेंगे। और वो लडका तो सर झुकाएं बैठा रहा कुछ भी नहीं बता रहा था, पूछने पर भी। पता नहीं कितना खौफ होगा उसे.!! बाद में अकेले में भी मैंने लडके से कहा कि वो ड्राइवर यदि तुम्हारा योन शोषण करते हैं तो पुलिस को बता दो, स्सालो की अक्ल ठिकाने आ जायेगी। पर वो खलासी लडका ऐसा करने से इनकार करते  हुए बोला कि एक तो इज्जत खराब होगी मेरी और फिर काम भी  तो उनके साथ ही करना है मुझे.!!  मैं सोच रहा था कि इस झूठी इज्जत और पेट के लिए कितने लडके लडकियां मजबूरी में योन हिंसा के शिकार होते होंगे जो कभी किसी को पता नहीं चलता होगा.!!  ग्रामीण क्षेत्रों में लडके लडकियों का बहुत सारा योन शोषण होता है पर यह मामले न पुलिस तक पहुंचते हैं न मिडिया तक। इज्जत के डर से और किसी मजबूरी वस मामला घर वालें ही दबा देते हैं।

कुछ देर बाद वो खलासी लडका और ट्रक वाले चले गए, उन्हें कहीं से ईंटें भरकर कच्छ रिटर्न जाना था। ग्यारह बज रहे थे कि इतने में गगजी को ट्रक मालिक का फोन आया कि असलाली से कुछ दूर माल भरना है। उसने हमें अड्रेस दिया और फिर हम माल भरने के लिए ट्रक लेकर निकल पडे। ओवरब्रिज के पास से राइट साइड मुड कर पांच सात किलोमीटर पर ट्रान्सपोर्ट नगर में एक गोदाम से माल भरना था। आईटीसी करके किसी ट्रान्सपोर्ट कंपनी का बडा गोदाम था वह।

गोदाम के गेट टर जाकर ऐंट्री करवाई ट्रक की, वहां चार पांच और ट्रक लोडिंग हो रहे थे इसलिए हम पार्किंग में ट्रक खडी करके बैठे रहे। करीब एक बजे हमारा नंबर लगा पर इतने में मजदूर खाना खाने चले गए। हम भी ट्रक लोडिंग पॉइन्ट पर लगाकर  आसपास कुछ खाने को ढूंढने चले। बाहर गेट के पास चाय का ठेला था उससे पूछा तो पता चला कि कहीं आसपास कोई खाने का होटेल, ढाबा नहीं है। तो फिर हमने उसी ठेले पर कुछ बिस्कुट, नमकीन वगैरह खा कर पेट भरा और उपर एक एक कप चाय पी कर पेट की भूख भगाई।

दो बजे मजदूर वापस आये और ट्रक लोड करने में लग गए। सब मिक्स माल सामान था। सिगरेट, बिस्कुट, साबुन, नूडल्स वगैरह... माल दो जगह का था आधा भचाउ का आधा भुज का। पहले भुज वाला लोड करने को कहा और पीछे भचाउ का। पांच सात मजदूर लगे थे,  सब बोक्ष उठाकर ट्रक में भरते जा रहे थे। एक ट्रॉली से माल का बडा जथा आता और फिर मजदूर उसे ट्रक में भरते। करीब चार बजे तक ट्रक भरा गया। वजन कम था पर माल की हाईट ट्रक की छत से उपर तक थी। बहुत मुश्किल से हमने माल पर पन्नी बिछाई और रस्सियां खींच कर बांधी। पन्नी बिछाते एक बार तो मैं गिरते गिरते बचा,  ऊपर से नीचे गिरता तो सब हड्डियां टूट जाती। रस्सियाँ बांधने, खींचने में हमारी हालत बुरी हो गई। गगजी तो मजदूरों को कोसता और गालियाँ देते रहा कि कितना माल भरा है.. कैसे भरा है..  ब्ला ब्ला ब्ला..   साडे पांच बजे हम बिल्टी जो पूरी माल लिस्ट के साथ थी उसे लेकर वापस कच्छ की ओर चल पडे।

___________________________________________________

........जारी

* फोटो नोट -

फोटो-1- ट्रॉली जिस बहुत सारा भारी जथा माल सामान उठाया जाता है,  फोटो लेने के लिए वहाँ के सुपरवाइजर ने मना  फिर भी मैंने छुपकर फोटो खींचा।

फोटो-2- माल सामान पर तालपत्री और बांधी हुई  रस्सियां

फोटो-3- असलाली से वापस लौटते ओवरब्रिज का फोटो

No comments:

Post a Comment